ख़्वाहिश
सारे जहां की खुशियां तेरे कदमों में वार दूं
आ कि इस दिन को मैं तेरी याद में गुजार दूं
चारों तरफ से तुझ पर बहार ही बहार बरसे
आ कि मैं तुझ पर एक प्यार की बौछार दूं
सावनी और अन्य कवितायें - निहाल सिंह
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*सावनी और अन्य कवितायें - निहाल सिंह*
* सावनी*
काली घटाएँ करती शोर
वन में नाचें पपीहा मोर
मन-मोहक ऋतु आई ऐसी
छाइ हरीतिमा चारों और
अंबर में विधुत्त चमचम...
2 years ago
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